मानसरोवर--मुंशी प्रेमचंद जी

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कुसुम मुंशी प्रेम चंद मानसरोवर-2 यह पत्र पढ़कर मुझे कुसुम पर भी झुँझलाहट आने लगी और उस लौंडे से घृणा हो गयी। माना, तुम स्त्री हो, आजकल के प्रथानुसार पुरुष को ...

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